तुलसी- शालीग्राम जी का पूजन करे ऐसे

ऐसे करें तुलसी-शालिग्राम जी का पूजन




हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार चार माह विश्राम करने के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (देव उठनी) ग्यारस तिथि को देवी-देवता सहित स्वयं भगवान नारायण भी जागेंगे। देव उठनी एकादशी के बाद ही सारे शुभ मुहूर्त और शुभ मंगल कार्य आरंभ होना शुरू हो जाएंगे। देव उठनी एकादशी पर भगवान शालिग्राम का देवी तुलसी का शुभविवाह सम्पन्न किया जाता है। इस दिन व्रत रखकर पूजा अर्चन करने से एक साथ अनेक मनोकामना पूरी होने लगती है। इस साल 8 नवंबर दिन शुक्रवार को है देव उठनी ग्यारस का पर्व।


देव उठनी ग्यारसः श्री तुलसी चालीसा



सबसे पहले भगवान के मन्दिर और सिंहासन को पुष्प और वंदनबार आदि से सजाएं। आंगन में देवोत्थान का चित्र बनाएं और फल, पकवान, सिंघाड़े, गन्ने आदि चढ़ाकर डलिया से ढक दें और घी का दीपक जलाएं। विष्णु पूजा में पंचदेव पूजा विधान अथवा रामार्चनचन्द्रिका आदि के अनुसार श्रद्धापूर्वक पूजन कर धूप-दीप जलाकर आरती करें।


ऐसे उठावें देवों को


देव उठनी ग्यारस के दिन इस मंत्र का उच्चारण करते हुए देवताओं के जागरण का भाव करें-
मंत्र


उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाणमम केशव।


तुलसी विवाहः इस उपाय से वैवाहिक जीवन की हर प्रॉब्लम हो जाएगी दूर


ऐसे करे तुलसी एवं शालिग्राम जी का पूजन


इस मंत्र से आवाहन करें-


ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।


इस मंत्र से तुलसी जी का आवाहन और पूजा करें-
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनः प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।


देव उठनी ग्यारसः तुलसी माता की आरती


शालिग्राम जी साक्षात भगवान विष्णु के प्रतिक है


- सुबह उठ कर गंगाजल मिले जल से स्नान करें।
- स्नान करने के बाद ही पूजा स्थल को साफ करें।
- चौक बनाकर विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित करें।
- धूप और दीप अर्पित करें।
- हाथ में जल अक्षत लेकर उपवास करने का संकल्प लें।
- दिन में जब धूप आए तो भगवान विष्णु के चरण ढंक दें।
- रात में, सुभाषित स्त्रोत का पाठ, एकादशी व्रत कथा या सत्यनारायण कथा अवश्य करें।



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